स्नेह के कस्तूरी-मृग
‘कॉमरेड’ याने श्री रमेश प्रसाद सक्सेना। रतलामी थे। सन् 2008 से भोपाली बने बैठे हैं। रतलाम में लायब्रेरियन थे। पढ़ने-लिखने की लत जन्मना रही। लायब्रेरियन होने ने इस लत को परवान चढ़ा दिया। म. प्र. तृतीय...
View Articleतीस जनवरी की वह शाम
पुराने कागजों को टटोलते-टटोलते मुझे ‘दिनमान’के 9 फरवरी 1969अंक के पृष्ठ 9-10 की फोटो प्रतियाँ मिलीं। पढ़ते-पढ़ते मुझे रोमांच हो आया और यह ऐतिहासिक दस्तावजे आप सबके सामने रखने से खुद को नहीं रोक पाया।...
View Articleयू ऽ ऽ ऽ ऊ नॉटी मिनिस्टर!
आज दादा की 6ठवीं अवसान तारीख और पाँचवीं बरसी है। उन्हें याद करते हुए एक रोचक घटना का आनन्द लीजिए। यह 1969 से 1972 के कालखण्ड की बात है। दादा पहली बार विधायक बने थे और श्री श्यामाचरण शुक्ल के मुख्य...
View Articleदाँव लगा तो राजघाट तक को नीलाम करेंगे।।
बालकवि बैरागी बापू तेरे जनम दिवस पर, कवि का मन भर-भर आता।इस वेला में तू होता तो, तड़प-तडप कर मर जाता।।चूर-चूर हो गए सपन सब, बापू तेरे मन के।सुमन सभी निर्गन्ध हो गए, बापू इस उपवन के।।तेरे आदर्शों की...
View Articleमैं धधकती जिन्दगी का बैरागी हूँ
(लखनऊ से प्रकाशित ‘साहित्यगंधा’के अंक-23, जून 2017 में प्रकाशित, दादा का यह साक्षात्कार मुझे जाने-माने कलमकार, देवासवाले ओमजी वर्मा (मोबाइल नम्बर 93023 97199) ने अत्यन्त कृपापूर्वक उपलब्ध कराया है। इस...
View Articleलोक पुरुष का परलोक प्रयाण
बालकवि बैरागी(03 दिसम्बर 1981 को सामरजी का निधन हुआ। उन्हें गए 23 बरस बीत रहे हैं। इस कालखण्ड में दो पीढ़ियाँ सामने आ गई होंगी। पता नहीं, ये पीढ़ियाँ सामरजी को जानती भी होंगी या नहीं। सामरजी पर...
View Article‘चरित्रवानों की सूची में शामिल करने के लिए तुम्हें अपना नाम भी नहीं सूझा?’
(श्री राजशेखर व्यासके संस्मरण संग्रह ‘याद आते हैं’में यह संस्मरण, ‘यह संस्मरण नहीं, मरण है’शीर्षक से संग्रहीत है। संस्मरण के साथ दिया गया, श्री राजे शेखर व्यास को सम्बोधित, दादा श्री बालकवि बैरागीका...
View Articleनेपथ्य का सच
बालकवि बैरागीमेरी पगडण्डी पर बिछाने के लिएउन्होंने बेरी से बबूलों तक,कैर से करौंदियो तक सेउधार लिए काँटेऔर बड़ी सावधानी सेमेरे रास्ते में बिछाए,फिर मन ही मन मुस्काएपर वे परिचित नहीं थेआजन्म नंगे, मेरे...
View Articleदिल्ली अलोनी हो गई बाबू सा’ब!
बालकवि बैरागी26 जुलाई को इस बार फिर दिल्ली पहुँच गया। ठीक एक महीने बाद। इस बार काम का बोझ ज्यादा रहा। कुछ सरकारी काम काज कुछ गैर सरकारी मित्र मिलन। पूरे चार दिन दिल्ली में बीते। इससे पहले संजयजी की...
View Articleपाँच बाल-कविताएँ
बालकवि बैरागीएकगोरे-गोरे चाँद में धब्बा,दिखता है जो काला-काला।उस धब्बे का मतलब हमने,बड़े मजे से खोज निकाला।वहाँ नहीं है गुड़िया-बुढ़िया,वहाँ नहीं बैठी है दादी।अपनी काली गाय, सूर्य नेचन्दा के आँगन में...
View Articleमहल से नीचे पधारो
बालकवि बैरागीमहल से नीचे पधारो, देश फिर वन्दन करेगाफिर वही अर्चन करेगा, और अभिनन्दन करेगामहल से नीचे पधारो.....00000बहुत दिन पहले कहा था, फाँस गहरी गड़ रही हैनाव डगमग हो रही है, औ’ भँवर में पड़ रही...
View Articleतोड़ दो यह बाँध
दादा की यह कविता इसलिए तनिक अनूठी है कि यह उनके किसी संग्रह में नहीं है किन्तु यू ट्यूब पर इसके ढेरों वीडियो उपलब्ध हैं। इतने वीडियो, उनकी और किसी कविता के उपलब्ध नहीं हैं।...
View Articleपत्र
बालकवि बैरागीदादा की इस कहानी की जानकारी मुझे नहीं थी। यह कहानी, उज्जैन से, अनियतकालीन प्रकाशित होती रही कहानी पत्रिका ‘सांझी’के कहानी विशेषांक (जनवरी 1987) में छपी थी। (अब स्वर्गीय) श्री हरीश...
View Articleबोलपट के बैरागी
डॉ. मुरलीधर जोशी चाँदनीवालाबात शुरु करूँ, तो वर्ष 1972 के वे दिन आँखों के सामने झूल जाते हैं, जब आचार्य श्री श्रीनिवास रथविक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.शिवमंगलसिंह ‘सुमन’को प्रायः सुबह-सुबह भवभूति...
View Articleबैरागीजी ने मेरी नौकरी छुड़वा दी और कहा - ‘यह मर्द से मर्द का वादा है।’
बी. एल. पावेचाश्री बी. एल. पावेचा: पूरा नाम बसन्ती लाल पावेचा। जन्म वर्ष 1940। विक्रम विश्व विद्यालय से 1962 में विधि स्नातक की परीक्षा केस्वर्ण पदकधारी। 1962 में वकालात शुरु की। 1964 मे नौकरी के विचार...
View Articleक्या हमारे गाँव चिड़चिड़े हो गए हैं?
बालकवि बैरागी(दादा का यह लेख, इन्दौर से प्रकाशित हो रहे दैनिक नईदुनियाके, वर्ष 1993 के दीपावली विशेषांक में, पृष्ठ 16-17 पर छपा था। इसे क्या कहा जाए कि तीस बरस पहले लिखी बातें, आज की बातें लगती हैं।...
View Articleजब बैरागीजी को थाने में कविता सुनानी पड़ी
बी. एल. पावेचासन् 1965 में मेरा तबादला, सिविल जज मनासा के पद पर हुआ। तब तक बैरागीजी देश के अच्छे कवि के रूप में स्थापित हो चुके थे और वे मेरे लिए सम्माननीय हो चुके थे। मनासा में नौकरी ज्वाइन करने के...
View Articleदादा की राज्य सभा सदस्यता: राजीवजी का वादा सोनियाजी ने निभाया
दादा श्री बालकवि बैरागी देश के उन गिनती के लोगों में शामिल हैं जो तीनों विधायी सदनों (विधान सभा, लोक सभा और राज्य सभा) के सदस्य रहे। विधान सभा के सदस्य दो बार (1967 से 1972 और 1980 से 1984) रहे और...
View Article...और अब अश्वगन्धा
वाणिज्यिक-औषधीय कृषोपज ‘अश्वगन्धा’को लेकर दादा श्री बालकवि बैरागीका यह लेख, ‘आधारभूत लेख’ की श्रेणी में शामिल किए जाने की पात्रता रखता है। यह लेख, कोटा (राजस्थान) के स्थापित, जाने-माने पत्रकार प्रिय...
View Articleस्पष्टीकरण
मालवा के एक प्रसिद्ध साहित्यकार हुए हैं - श्री मंगल मेहता। मालवांचल और मालवी बोली उनके रोम-रोम में बसी हुई थी। मालवा और मालवी पर उन्होंने न केवल अपने सामर्थ्य और क्षमता से अधिक काम किया, मालवांचल के...
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