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Channel: एकोऽहम्
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चालो गऊ का जाया हो

 श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह‘अई जावो मैदान में’ की नौवीं कवितायह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।चालो गऊ का जाया होटचर टचर टच टच टच टच टचचालो रे गऊ का जाया...

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सागर की दासी

श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की उन्नीसवीं कवितायह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।सागर की दासीसागर की दासी नदियों को, सागर के घर रहने...

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हाय रे!

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह‘मन ही मन’ की सोलहवीं कवितायह संग्रह नवगीत के पाणिनी श्री वीरेन्द्र मिश्र को समर्पित किया गया है।हाय रे!वे कहें कविता को कवितातब तो वह कवितावर्ना ऊँ ऽ ऽ ऽ ह्वे कहें...

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म्हारा वीर

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह‘अई जावो मैदान में’ की दसवीं कवितायह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।म्हारा वीरजदी आँगणियाँ में आजादी को उड़ीग्यो अबीर।तो भाग के...

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अमन का सिपाही

श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की बीसवीं कवितायह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।अमन का सिपाहीले के झण्डा ये हिन्दी वतन काआया-आया सिपाही...

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कौन से समन्दर मैं कूदूँ

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह‘मन ही मन’ की सत्रहवीं कवितायह संग्रह नवगीत के पाणिनी श्री वीरेन्द्र मिश्र को समर्पित किया गया है।कौन से समन्दर मैं कूदूँआज कायल का पहला सुरकान में पड़ातोघुल गया मन...

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पसीनो एक साथ चूवा दो

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह‘अई जावो मैदान में’ की ग्यारहवीं कवितायह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।पसीनो एक साथ चूवा दोलालकिला का मालकाँ मत बैठो नक्कामपसीनो...

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गाँधी के सन्देसे को

श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की इक्कीसवीं कवितायह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।गाँधी के सन्देसे कोगाँधी के सन्देसे को, घर-घर में सुना...

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गुरु मन्त्र

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह‘मन ही मन’ की अठारहवीं कवितायह संग्रह नवगीत के पाणिनी श्री वीरेन्द्र मिश्र को समर्पित किया गया है।गुरु मन्त्रसम्भावनाएँनहीं होतीं किसी की बाँदियाँ, चेरिया, दासियाँया...

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उन्‍होंने आधी रात को सुनाया दादा का गीत

यह इसी 12-13 जुलाई की सेतु रात्रि की बात है। एक पारिवारिक आयोजन में शामिल होने के लिए औरंगाबाद पहुँचा था। लगातार दस घण्टों की यात्रा ने इतना थका दिया था कि थकान के मारे नींद नहीं आ रही थी। तारीख बदलने...

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धरती का जाया ओ

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह‘अई जावो मैदान में’ की बारहवीं कवितायह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।धरती का जाया ओधरती का जाया ओधरती का धाया ओधीरप ती धीराँ...

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पर्व से

श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की बाईसवीं कवितायह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।पर्व सेवन्दनीय दिन फिर दे देना, दर्शन कभी दुबाराआज मुझे...

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इस वक्त

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह‘मन ही मन’ की उन्नीसवीं कवितायह संग्रह नवगीत के पाणिनी श्री वीरेन्द्र मिश्र को समर्पित किया गया है।इस वक्तभूकम्प के भय से भयभीत होकरहमघर बनाना नहीं छोडते।बाढ़ों से...

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पसीनो ललाट को

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह‘अई जावो मैदान में’ की तेरहवीं कवितायह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।पसीनो ललाट कोलिख्या लेख कदी न्ही धोवे पाणी घाटम-घाट कोललाट...

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कहते हैं कुदरत पर काबू

श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की तेईसवीं कवितायह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।कहते हैं कुदरत पर काबूहर मुश्किल आसान बना दी, दुनिया में...

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अब

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह‘मन ही मन’ की बीसवीं कवितायह संग्रह नवगीत के पाणिनी श्री वीरेन्द्र मिश्र को समर्पित किया गया है।अबशहद पाने केदो ही रास्ते हैं।या तोमधुमक्खियों को पालोया छत्ते को...

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धरती को गीत

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह‘अई जावो मैदान में’ की चौदहवीं कवितायह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।धरती को गीतआवो धरती का गीत गावाँ रेधरती का गीतम्हारी जरणी...

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आमन्त्रण

श्री बालकवि बैरागी के दूसरे काव्य संग्रह‘जूझ रहा है हिन्दुस्तान’ की चौबीसवीं कवितायह संग्रह पिता श्री द्वारकादासजी बैरागी को समर्पित किया गया है।आमन्त्रणऐटम से अब अमन जुटा कर, श्रापों को कर लें...

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बोला मेरा मन हीरामन

श्री बालकवि बैरागी के कविता संग्रह‘मन ही मन’ की इक्कीसवीं कवितायह संग्रह नवगीत के पाणिनी श्री वीरेन्द्र मिश्र को समर्पित किया गया है।बोला मेरा मन हीरामनबोला मेरा मन हीरामन गीतों की ऋतु फिर...

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मौसम बदली ग्यो

श्री बालकवि बैरागी के मालवी श्रम-गीत संग्रह‘अई जावो मैदान में’ की पन्द्रहवीं कवितायह संग्रह डॉ. श्री चिन्तामणिजी उपाध्याय को समर्पित किया गया है।मौसम बदली ग्योआँबा की झमकारी ऊपर कारी कोयल यूँ गावेअपणो...

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