यह मुकदमा जीतना ही चाहिए
चेम्पियन्स ट्राफी के फायनल में भारत की हार के बाद, पाकिस्तान की जीत की खुशी में पटाखे छोड़ने और पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगा कर, जश्न मना कर, ‘राष्ट्र की गरिमा के विपरीत कृत्य’ के आरोप में बुरहानपुर...
View Articleभेस से धर्म रक्षक काम से धर्म बैरी
त्रिपोलिया गेट से घर लौट रहा था। रास्ते में उत्तमार्द्धजी का फोन आया - ‘पपीता लेते आईएगा।’ मैं असहज हो जाता हूँ। ‘गृहस्थ’ बने इकतालीस बरस से अधिक हो गए लेकिन घर-गिरस्ती की अकल अब तक नहीं आई। एक ठेले पर...
View Article......वैसे ही सबके मनोरथ पूरे हों
यह, अचानक ही कोई मनोरथ पूरा हो जाने जैसा ‘सुखद हादसा’ था। मनोरथ भी ऐसा जिसके पूरा होने की उम्मीद तो छोड़िए, आशंका भी नहीं रह गई हो। मैं गया था केवल अपनी हाजरी दर्ज कराने लेकिन बैठा पूरे ढाई...
View Articleउसे किसी से शिकायत नहीं थी
रेल का प्रस्थान का समय सवा आठ बजे है लेकिन मैं साढ़े सात बजे ही स्टेशन पहुँच गया हूँ। मेरा देहातीपन अब भी मेरे साथ बना हुआ है। ‘रेल छूट न जाए’ का डर घर से जल्दी निकाल देता है। जाती हुई रेल के अन्तिम...
View Articleएक स्वानुभूत, स्वप्रशिक्षित, स्वनिर्मित योग पेथी चिकित्सक
रोग मुक्ति और कष्ट मुक्ति से जुड़ा अपना यह अनुभव मैं अपनी सम्पूर्ण सद्भावना और सदाशयता से साझा कर रहा हूँ। मेरी इस पोस्ट से प्रेरित हो यदि कोई इस पर अमल करे तो यह बिलकुल जरूरी नहीं कि उसका अनुभव भी ऐसा...
View Articleधर्म की समानता और जाति-वर्ण का भेद साथ-साथ नहीं निभता
यह इसी जुलाई के पहले सप्ताह की बात है। भोपाल से कोई चालीस किलो मीटर दूर स्थित जिला मुख्यालय सीहोर की। दलित युगल पंकज जाटव और वैजयन्ती ने, गंज इलाके में स्थापित डॉक्टर अम्बेडकर की मूर्ति के फेरे लेकर...
View Articleजीएसटी: दरिद्र नागरिकों की अमीर सरकार
‘लोग जीएसटी को खामखाँ बदनाम कर रहे हैं। इसमें कुछ भी उलझनभरा नहीं। बहुत ही आसान। यह फार्मूला अपनाइये - जीतेन्द्र रतलाम में कपड़े का थोक व्यापार करता है। उसका साला वीरेन्द्र इन्दौर में होटल चलाता है।...
View Articleनए सर्वोच्च सेनापति : युध्द की आशंका का घटाटोप और ज्योतिषियाेें से उम्मीद
वे इस समय अपनी उम्र के सित्यासीवें बरस में चल रहे हैं। चुस्त-दुरूस्त। रोज चार-छः किलोमीटर पैदल चल लेते हैं। लोक जीवन के गहन जानकार और अनुभव-सम्पदा के छोटे-मोटे कुबेर। आते ही बोले - ‘तुम पूछो उससे पहले...
View Articleचीनी सामान, देश-भक्ति याने फिक्र का जिक्र
हम प्रतीकीकरण के चरम समय में जी रहे हैं। पाखण्ड और प्रदर्शन ने आचरण को खारिज कर विस्थापित कर दिया है। देश-भक्ति इस पाखण्ड प्रदर्शन का सर्वोत्कृष्ट, श्रेष्ठ-उपयोगी और श्रेष्ठ परिणाम देनेवाला तत्व बन गया...
View Articleमुख्यमन्त्री की चेतावनी: अफसरों का चुटकुला
मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के प्रमुख अभियन्ता अनिलचन्द सूर्या गए दिनों लेबड़-जावरा फोर लेन सड़क से गुजरे तो गड्ढों से परेशान हो गए। उन्होंने सड़क से ही, सड़क की देख-रेख की जिम्मेदार और टोल वसूल रही,...
View Articleयह अभिलेखीकरण: अपने नायकों के साथ इतिहास में दर्ज होने का अवसर
नौ अगस्त को संसद में, ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के 75 वर्ष पूरे होने के प्रसंग पर बोलते हुए तमाम पार्टियों के नेताओं ने, स्वतन्त्रता संग्राम में अपने-अपने नेताओं के योगदान का उल्लेख किया। दूसरी पार्टियों के...
View Articleसेंसरशिप का अनूठा वैश्विक कीर्तिमान
आज सुबह लगभग सवा दस/साढ़े दस बजे मैंने यह पोस्ट लगाई थी। किन्तु थोड़ी ही देर बाद मैंने अनुभव किया कि यह पूर्ण सत्य नहीं थी। इसीलिए यह अनुचित भी थी।मैं अपनी यह पोस्ट सखेद, क्षमा-याचना सहित हटा रहा हूँ।-----
View Articleचीनी सामान का बहिष्कार याने रुई लपेटी आग
देश में इन दिनों उग्र राष्ट्रवाद और कट्टर धर्मान्धता की अफीम का समन्दर ठाठें मार रहा है। भ्रष्टाचार और कालेधन का खात्मा न होना, बढ़ती बेरोजगारी, स्कूलों-कॉलेजों में दिन-प्रति-दिन कम होते जा रहे शिक्षक,...
View Article........और इस तरह उल्टा लटका दिया कलेक्टरों को
(मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान की, कलेक्टरों को उल्टा लटकाने की चेतावनी को कलेक्टरों ने किस तरह चुटकुला माना था, इसका जिक्र मैंने अपनी इस पोस्ट मेंकिया था। कलेक्टरों का सोचना कितना सच था, यह चेतावनी...
View Articleसरकारी आदेश का पालन: जैसा तूने गाया, वैसा मैंने बजाया
यह घटना इसी रविवार, तेरह अगस्त की है। यह घटना मुझे इसके नायक ने आमने-समाने बैठकर सुनाई है। वास्तविकता मुझे बिलकुल ही नहीं मालूम।इस घटना का नायक मध्य प्रदेश सरकार के, ग्रामीण सेवाओं से जुड़े विभाग का...
View Articleये तो लगाए ही जाते हैं तोड़ने के लिए
आज थोड़ी लम्बी बात कर लेने दीजिए।कम से कम पैंतालीस बरस पहले की बात है यह। उम्र के छब्बीसवें बरस में था। मन्दसौर में काम कर रहा था। एक शुद्ध शाकाहारी, अहिंसक परिवार का, मुझसे नौ-दस बरस छोटा एक किशोर मेरे...
View Articleगुरु: उच्च का नहीं.......
गोपाल आज होता तो ‘धर्म गुरु’ राम रहीम के चाल-चलन और मौजूदा दशा पर क्या कहता?गोपाल याने गोपाल आचार्य। बड़े कष्ट से कहना/लिखना पड़ रहा है - स्वर्गीय गोपाल आचार्य। हायर सेकेण्डरी का मेरा कक्षा पाठी। अपने...
View Articleशरारती नहीं, वह न्यायप्रिय था
मेरा कक्षा-पाठी अर्जुन (पंजाबी) मुझे सुधारता रहता है। मुझे अच्छा लगे या बुरा, उसके ठेंगे से। उसे जो कहना होता है, कह देता है। हमारे इलाके की कहावत उसका फार्मूला है - ‘मेरी बात का बुरा लगे तो शाम को घर...
View Articleपहले कंजूस...फिर सनकी और अब.....
गए ढाई-तीन बरस से मुझसे मेरी पहचान कराई जा रही है। मैं मजे ले रहा हूँ।मुझे खबू सारे निमन्त्रण-पत्र मिलते रहते हैं। सारे निमन्त्रण-पत्र और उनके लिफाफे अच्छी गुणवत्तावाले वाले, सामान्य से तनिक मँहगे कागज...
View Articleमहापुरुषों के ठगोरों के बीच दीनबन्धु की तलाश
विज्ञापनों की दुनिया में जो जगह और महत्व नारी देह को हासिल है, वही जगह और महत्व भारतीय राजनीति में गरीब और गरीबी का है। जिस तरह विज्ञापन सच नहीं बोलते ठीक उसी तरह भारतीय राजनीति भी गरीब और गरीबी को...
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